दोस्तों !
आप सोचते हैं ?
क्या सोचते है ?
क्यों सोचते हैं?
बिना सोचे काम न चलेगा ?
आप सोचते कैसे हैं- क्या इस पर कभी गौर किया है ?
आप हैं- इस बात की कोई गारंटी है आपके पास ?
आप अपने बारे में क्या जानते हैं?
नहीं, कोई जल्दी नहीं है ठीक से सोच समझकर फिर इसका जबाव दें ।
आज का सवाल -
आप अपने विषय में बस एक सूचना दें जिसमे आप के आलावा कोई और , मैं दुहराता हूँ -कोई भी दूसरा किसी भी रूप में सम्मिलित न हो।
मुझे आपके जबाव का इंतजार रहेगा ।
आपका शुभचिंतक
रवीन्द्र दास
( बुद्धि-विरोधी बाबाओं से सावधान रहना और काम करना सभी जागरूक मनुष्य का कर्त्तव्य है। )
शुक्रवार, 8 मई 2009
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6 टिप्पणियां:
पहले तो मैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ की आपको मेरी शायरी पसंद आई!
बहुत खूब लिखा है आपने !
dhanyvad urmi ji.
... क्यों परीक्षा ले रहे हो रवीन्द्र जी !!!!!
pariksha se n ghabrayen, parikshak bhi aap khud honge, mitr Uday ji.
मैं सर्वशक्तिमान ईश्वर की बनाई एक अनूठी कृति
bina kisi dusre ko shamil kiye zabav nahin soojha n! main janta tha, aisa hi hona tha, webduniya ke bhai saab.
khuda se khudi adhik takat deti hao huzoor, shukriya.
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