मैं उन सब से एक प्रश्न पूछना चाहता हूँ जो जाति पर आधारित जनगणना का विरोध कर रहे हैं। प्रश्न है -
क्या आप को पुनर्जन्म के सिद्धांत में विश्वास है ?
और इस प्रश्न का उत्तर देने की जरुरत नहीं है क्योंकि मैं आप का जबाव जानता हूँ। नाराज न हों, आपका जबाव यही होगा न, कि नहीं, हम कर्म-पुनर्जन्म के खोखले और अवैज्ञानिक बकवास पर कतई विश्वास रखना तो दूर की बात है, हम तो इन अंध विश्वास पर बात करना भी पसंद नहीं करेंगे।
तो आपको जाति प्रथा में भी यकीन न होगा ?
नहीं, नहीं, कभी नहीं।
लेकिन जाति भारतीय समाज की सच्चाई है, जिसकी वज़ह से कुछ लोग मलाई चाट रहे हैं और कुछ लोग मैला ढोते-ढोते बीमार होकर मर जाते है। आप इसके एवज़ में क्या करते हैं?
हम कर भी क्या सकते हैं - निंदा करते है, लेख लिखते है, इसका विरोध करने के लिए लोगों को उकसाते हैं....
आप यह सब कुछ जाति को स्पष्ट हो जाने पर और आराम से कर सकेंगे। लेकिन आप अगर डर रहे है कि उन कथित अवर्णों की संख्या कहीं बहुत अधिक होगी और वे लोकतंत्र में अपने हिस्से की मांग तो नहीं बाधा देंगे !
नहीं... नहीं....आप लोग इतने कायर और डरपोक नहीं है।
( बुद्धि-विरोधी बाबाओं से सावधान रहना और काम करना सभी जागरूक मनुष्य का कर्त्तव्य है। )
बुधवार, 2 जून 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें